na ḳhudā hī milā na visāl-e-sanam na idhar ke hue na udhar ke hue
rahe dil meñ hamāre ye rañj-o-alam na idhar ke hue na udhar ke hue
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न ख़ुदा ही मिला न विसाल-ए-सनम न इधर के हुए न उधर के हुए
रहे दिल में हमारे ये रंज-ओ-अलम न इधर के हुए न उधर के हुए
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पत्ता है आँधियों के मुक़ाबिल खड़ा है तू,
गिरते हुए दरख़्त से कितना बड़ा है तू !
मत सोच ये कि तेरी किसी ने नहीं सुनी,
ये देख अपनी बात पे कितना अड़ा है तू !
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